किसके सिर बंधेगा जिले का सेहरा और कौन बनेगा फिर से बेचारा।
या फिर एक बार सभी को आश्वासन ही बनेगा उम्मीदों का सहारा।
राजस्थान बजट 2023 से हर किसी को उम्मीदें हैं,आखिर उम्मीदें भी क्यों ना करें, चुनाव में जो सपने दिखाई जाते हैं तो उम्मीदें किए जानी भी लाजमी है। बजट 2023 को लेकर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों की अपनी अपनी उम्मीदें हैं । राजस्थान के हृदय कहलाने वाले अजमेर जिले के ब्यावर और केकड़ी क्षेत्र के लोगों के बीच भी एक विषय विशेष पर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
ध्यातव्य : वर्ष 2022 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिलों के गठन के लिए हाईपावर कमेटी बनाने की घोषणा की थी, इसके बाद 17 मार्च को रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। छह महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन सितंबर में कमेटी का कार्यकाल पूरा हो गया। बाद में इसे मार्च 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया।
……जी हां हम बात कर रहे हैं परमेश कमेटी और उसके द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने के बारे में,अब सवाल यह है कि आखिर यह परमेश कमेटी क्या है? और इसका ब्यावर और केकड़ी से क्या रिश्ता है जिस पर इन दोनों क्षेत्रों की जनता की उम्मीदें टिकी है।
- परमेश कमेटी क्या है
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में गठित भाजपा राज के दौरान नए जिलों के गठन पर सुझाव देने के लिए सरकार ने 20 जनवरी 2014 को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी परमेश चंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने वर्ष 2018 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। लगभग 4 वर्ष गुजर जाने के बाद अब तक इस कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। हर वर्ष बजट से उम्मीद की जाती है कि शायद सरकार इस बार परमेश कमेटी की सिफारिशों को लागू कर दे और कुछ नए जिलों का गठन भी कर दे, लेकिन लगता है यह सिफारिशें ठंडे बस्ते में जा चुकी है या फिर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह लागू नहीं हो पा रही है,कारण जो कोई भी हो लेकिन बजट का वक्त आते ही लोगों में अपने अपने क्षेत्र को जिला बनाने की सुगबुगाहट/चर्चाएं गर्म जरूर होने लगती है । ऐसी ही चर्चा पिछले दिनों अजमेर जिले के ब्यावर और केकड़ी के लोगों के बीच चल पड़ी है जैसा कि हर बार की जाती रही है।
- ब्यावर को जिला बनाने की मांग पर क्या हो सकता है रुख
ब्यावर को जिला बनाए जाने की मांग काफी पुरानी है ।हर बार बजट से उम्मीद की जाने लगती है कि शायद इस बार ब्यावर को जिला बनाने की उम्मीदें पूरी हो जाए ।इन मांगों को पंख उस समय और अधिक लग गए थे जब सरकार ने परमेश कमेटी का गठन किया लेकिन परमेश कमेटी की सिफारिशें आज तक लागू नहीं हो पाई ।
इसी बीच बजट 2022 पेश किए जाने से पहले लोगों की चर्चाओं में, लोगों की बातों में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चर्चा और तेज हो गई है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर यह देखा गया और पढ़ा गया भी कि इस बार ब्यावर को जिला बनाए जाने की उम्मीद है जो शीघ्र पूरी होगी। अब देखना यह है कि इस बार उनकी उम्मीदें पूरी होती है या हर बार की तरह उनकी उम्मीदें केवल उम्मीदें ही बनकर रह जाएगी।
- सन 2020 में भी मिला था आश्वासन
सन 2020 और 2022 में भी इस विषय पर चर्चा हुई मांग जोर-शोर से उठी थी तब शंकर सिंह रावत की मुख्यमंत्री से सौहार्दपूर्ण वार्ता हुई थी । इसमें मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रदेश में जब भी कोई नया जिला बनेगा, उसमे पहला नाम ब्यावर का होगा । यह आश्वासन ब्यावर को जिला बनाए जाने के लिए ब्यावर को बड़ी उम्मीदें जगाता है एक विश्वास देता है एक मजबूती देता है।
- केकड़ी को जिला बनाने की उम्मीद पर क्या है जनता का रुख
केकड़ी को जिला बनाए जाने की चर्चा भी पिछले कुछ वर्षों से तेज हो रही है और इन उम्मीदों को तब और पंख लग ही जाते हैं जब राजस्थान के कद्दावर नेता डॉ रघु शर्मा जी सरकार में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हो । पिछले दिनों विकास कार्य को लेकर केकड़ी क्षेत्र में नए मुकाम जरूर स्थापित किए हैं केकड़ी का स्वरूप बदल रहा है ,जिला बनाए जाने की जो शर्तें,जो आवश्यकताएं होती है वह लगभग केकड़ी भी पूरी करता है तो फिर उम्मीदें किया जाना लाजमी ही होता है।
- जिला बनाए जाने के मापदंड पूरे करता है केकड़ी
केकड़ी को जिला बनाने के लिए आवश्यक सभी मूलभूत सुविधा जैसे सभी सरकारी कार्यालय, क्षेत्रफल, जनसंख्या, माइनिंग एरिया, जिला स्तरीय हास्पिटल, तहसीलें आदि हैं। केकड़ी से आस पड़ौस के सभी जिला मुख्यालयों से लगभग 100 किमी दूरी पर है इस कारण इसके दावे में भी दम है ।
जनवरी 2023 में भी केकरी को जिला बनाए जाने की मांग जोर-शोर से उठने लगे थे केकड़ी जिला बनाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी को भी पत्र लिखकर केकड़ी को जिला बनाने की मांग की थी।
वहीं दूसरी ओर ब्यावर को जिला बनाए जाने की चर्चा के बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि क्या एक ही जिले में से दो नए जिलों का गठन किया जा सकता है अगर ब्यावर जिला बनाया जाता है तो फिर केकडी को जिला बनाए जाने की कितनी उम्मीदें रहती है या इस बारे में केकड़ी अपनी बाजी मारता है यह तो वक्त ही बताएगा या राजनीतिक इच्छाशक्ति ही बताएगी।
- किसकी मांग में है दम कौन रहेगा आगेे दो कदम।
लोगों की चर्चा पर देखा जाए तो केकडी को जिला बनाने के दावे में दम जरूर लगता है और क्षेत्र का नेतृत्व कद्दावर नेता है ब्यावर की मांग बड़े पुरानी हो लेकिन केकड़ी को जिला बनाए जाने की मान में भी दम है यह तो स्वीकार करना ही होगा।अब यह देखना है किस सरकार प्रदेश कमेटी की सिफारिश को लागू करते हैं या फिर नहीं और अगर लागू करती है । कौन किस पर बाजी मारता है कौन रहता है भारी …जनता उसी क्षेत्र की रहेगी सरकार के प्रति आभारी।