किसी ने क्या खूब कहा है- ” होगा पर्यावरण विशुद्ध तभी इंसान तंदुरस्त होगा ” कहने का तात्पर्य और भावार्थ स्पष्ट है की हमारे चारों तरफ के वातावरण और पर्यावरण की शुद्धता पर ही हमारी तंदुरुस्ती और हमारा जीवन सुरक्षित है इससे पर्यावरण की शुद्धता का महत्व अपने आप ही सिद्ध हो जाता है लेकिन आज के इस भौतिकवादी युग में मानव की दोषपूर्ण नीतियां उसकी जीवनशैली बढ़ता वर्गीकरण और पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूकता और कर्तव्य के प्रति गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे प्रदूषित हो रहा है खुद इंसान ने पर्यावरण में जहर घोल दिया है ।

कब और क्यों मनाया जाता है ? विश्व पर्यावरण दिव
 

आखिर इंसान को अपने पर्यावरण ओर प्राणवायु की शुद्धता को मध्य नजर रखते हुए एहसास हुआ कि पर्यावरण को शुद्ध रखकर ही इंसानी जिंदगी और जीव जंतु को सुरक्षित रखा जा सकता है । पर्यावरण के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने पर्यावरण के महत्व को समझने और अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जाने लगे और इन्ही प्रयासों ओर  उद्देश्यों के तहत  प्रति वर्ष  5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद है लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है।  इसके मनाए जाने का  फैसला 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन जो स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 119 देशों   के सदस्यों  की  चर्चा में लिया गया था लेकिन  पहला विश्व पर्यावरण दिवस  5 जून 1974 को ही मनाया गया तभी से ये दिवस पूरे वैश्विक स्तर पर मनाया जाता रहा है ।

क्या है पर्यावरण दिवस  2021 की थीम

प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर मनाए जाने वाले दिवस की एक थीम रखी जाती है । वर्ष यानी कि 2020 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ का मुख्य विषय ‘जैव-विविधता’ थी और वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम पारिस्थितिकी तंत्र बहाली है। 

पर्यावरण संरक्षण औऱ सरकारी प्रयास

पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को देखते हुए स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार ने भी इस विषय पर बड़ी गंभीरता से कार्य किया पर्यावरण संरक्षण के लिए समय-समय पर आवश्यकताओं के अनुसार अधिनियम और नीतियां बनाई गई जैसे -जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1974 तथा 1977, वायु (प्रदूषण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1981,वन्यजीवन संरक्षण अधिनियम, 1972 ,वन संरक्षण अधिनियम, 1980, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 ,इसकव साथ साथ पर्यावरणीय नियमों की व्यापक आवश्यकता को देखते हुए पर्यावरण तथा वन मंत्रालय ने दिसम्बर 2004 को राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2004 का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसके तहत पारित अधिनियम से पर्यावरणीय संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके |
वर्तमान समय में भी भारत सरकार इस विषय पर बड़ी गंभीर है। सरकारी प्रयासों के साथ साथ हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए उन कारणों पर जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं । आपस में मिलजुल कर ही सुधार और उपाय करने होंगे  अपनी दिनचर्या बदलनी होगी ,प्लास्टिक रसायन अवशिष्ट पदार्थों के निस्तारण के लिए भी उपाय ढूंढने होंगे व्यक्ति को अपनी जीवनशैली बदलनी होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भी एक ऐसा अनुपम प्रयास पूरे भारत में 2 अक्टूबर 2019 से किए जाने का आह्वान किया है  जिसमे अवशिष्ट पदार्थो ओर प्लास्टिक  के निस्तारण में हर व्यक्ति इस प्रकार अपनी जिम्मेदारी समझे तभी हम पर्यावरण की  रक्षा कर पाएंगे अन्यथा इसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं आओ मिलकर संकल्प ले कि हमें पर्यावरण  को बचाना है तभी हम बच पाएंगे ।

लॉक डाउन ने किया पर्यावरण को संतुलन


लॉकडाउन के चलते  औधोगिक इकाइयों  ओर परिवहन के साधन  बंद रहने से आब ओ हवा की गुणवत्ता सुधार हुआ  है, ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है, जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है  बताया जाता है कि गंगा का पानी पीने जितना शुद्ध हो गया इतना शुद्ध की वर्षो तक प्रयास के बाद भी इतना सकारात्मक परिणाम नही आये और जैवविविधता  में भी सकारात्मक परिणाम देखने को  मिला ।ओजोन परत मे भी सुधार हुआ है । पशु – पक्षी जंगली जानवर स्वतंत्र रूप से विचरण करने लगे । मानो प्रकृति अपनी आप को संतुलन कर रही है । 

पर्यावरण संरक्षण का ले संकल्प


 हम सभी इस पर्यावरण दिवस पर  पर्यावरण को शुद्ध स्वच्छ रखने का संकल्प ले ।आप ओर हम अगर अपने जीवन मे छोटी छोटी बातों का ध्यान रखे तो हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते है जैसे-

(1)  अपने जन्मदिन पर  ,वैवाहिक वर्षगांठ पर या अपनो की याद में  कम से कम एक पौधा लगा कर उस दिन को हम यादगार बना सकते है ओर पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भागीदारों निभा सकते है  ।

 (2)  अपनी दैनिक दिनचर्या ओर अपनी आदतों मे सुधार कर  अपने बच्चों के समाजीकरण में इस प्रकार की आदतें डाले की वो अपने जीवन मे पर्यावरण का महत्व समझे इस प्रकार आप ओर हम छोटी मोटो बातों से पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते है । 

(3) घर के कूड़ा-कचरे को इधर उधर न फेंककर उसे डस्टबीन में डाले  , प्लास्टिक/पॉलिथिन का उपयोग बंद करें,  पशु-पक्षियों  का संरक्षण करे ,पेड़ लगाये,

 (4)  अपने आस पास के वातावरण को साफ और शुद्ध रखे,  खुद भी प्रयास करे और दूसरों को भी प्रेरित ओर जागरूक करे । हर एक व्यक्ति का प्रयास महत्वपूर्ण है  ।

(5)  एक बूंद से भले ही घड़ा नही  भरता लेकिन बून्द-बून्द से घड़ा जरूर भरता है ।  सारे काम  सरकार करे इस सोच से ऊपर उठकर हमें एक अच्छे नागरिक एक अच्छे व्यक्ति धर्म, अपनी जिम्मेदारियों को समझते  और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान ओर भागीदारी  सुनिश्चित करें  तभी हम तंदुरुस्त होंगे हमारा समाज तंदुरुस्त होगा ।

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