पिछले दिनों बाड़मेर जिला निवासी गजेंद्र कुमार जांगिड़ की अकस्मात मृत्यु की खबर सुनी, खबर सुनकर मन बहुत हीं आहत हुआ । कहते हैं कि संघर्ष करना और संघर्ष करते करते ही दुनिया से विदा हो जाना ही शायद कुछ लोगों की तकदीर में होता है । हां ऐसा ही कुछ वाकिया बाड़मेर जिला निवासी गजेंद्र कुमार जांगिड़ से जुड़ा हुआ है । एक सामान्य परिवार का लाडला संघर्ष करते-करते ही अपने मन पर एक बोझ लेकर चला गया । बोझ ऐसा भी जिसको योग्य होने के बाद भी न्याय की लड़ाई लड़ कर भी पूरा न कर सका । पढ़ लिख कर सरकारी नौकरी का सपना संजोय परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद भी वह नियुक्ति से दूर लगातार वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर था , रही कहीं कसर कोरोना काल की बेरोजगारी ने पूरी कर दी । शायद कठोर मेहनत करके परीक्षा में अधिक अंक लाना ही उसका गुनाह ही गया ।
- अपने सर पर बोझ लेकर चल गया गजेंद्र जांगिड़
बाड़मेर जिला निवासी गजेंद्र कुमार जांगिड़ तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 की भर्ती से जुड़ा हुआ पीड़ित बेरोजगार था । इस भर्ती से लेकर आज तक यह भर्ती विवाद में बनी हुई है । मानो तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 और विवादों का बड़ा गहरा नाता हो। न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद बार-बार रिवाइज रिजल्ट जारी हुए और इस रिवाइज रिजल्ट में अधिक अंक प्राप्त करने वाले युवा बेरोजगार , पीड़ित आज भी नियुक्ति की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं । गजेंद्र जांगिड़ न्याय की उम्मीद में अपने हक के लिए तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के साथियों के साथ मिलकर कानूनी लड़ाई लड़ रहा था लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इस प्रकार दुनिया से रुक्सत ही जायेगा ।
- तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012
अशोक गहलोत की पिछली सरकार के कार्यकाल में पंचायत राज विभाग के माध्यम से 31000 पदों के लिये भर्ती हुई थी । इस भर्ती में क्या कुछ हुआ,क्या कुछ नहीं हुआ यह कहने की आवश्यकता नहीं है ।तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 में भर्ती पर विवाद, रिजल्ट पर विवाद, कोर्ट में मामला , कोर्ट का नियुक्ति का आदेश , सर्वोच्व न्यायालय में एसएलपी दायर ,पर आज भी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के पीडित बेरोजगारों को नियुक्ति नही मिली ।
- वसुंधरा सरकार में भी नही मिला न्याय
यह भर्ती भले ही अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल की हो और एक बार फिर वर्तमान में अशोक गहलोत की सरकार हो , तब भी न्याय नही मिला लेकिन इन दोनों सरकारों के बीच वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार के दौरान भी कमेटियां बनी, आश्वासन मिले,पर बेरोजगारों के साथ न्याय नहीं हुआ उन्हें नियुक्ति नही मिली । युवा हर हर बार ठगा गया।
रिवाइज रिजल्ट में आउटर्स को तो पिछली वसुंधरा के समय सरकार ने समायोजित कर दिया, लेकिन अधिक अंक प्राप्त करने वाले युवा राजस्थान उच्च न्यायालय की डबल बेंच के द्वारा बेरोजगारों के हितों में दिए गए निर्णय के बावजूद भी सरकार की हठधर्मिता और कानूनी पेचीदगियों के कारण आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं ।
- वर्तमान गहलोत सरकार और तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012
जब वसुंधरा सरकार के दौरान तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगारों के साथ न्याय नहीं हुआ और उसके पश्चात अशोक गहलोत की फिर से सरकार बनी तो युवाओं में एक उम्मीद ,एक आशा की किरण जाग उठी थी कि अब युवाओं के साथ न्याय होगा क्योंकि यह भर्ती पिछली गहलोत सरकार की भर्ती है लेकिन इस कार्यकाल का आधा वक्त गुजर जाने के बाद भी युवा बेरोजगारों को मिल रहा है तो केवल आश्वासन और आश्वासन । पिछले उप चुनाव के समय मंत्रिमंडलीय समिति का गठन हुआ जिसमें भी बेरोजगारों के साथ न्याय करने की बात कही थी , कुछ मागो पर मंत्रिमंडलीय समिति औऱ बेरोजगारों के प्रतिनिधि मंडल, राजस्थान बेरोजगार संघ एकीकृत के बीच सहमति बनी थी लेकिन आज भी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के अधिक अंकधारी बेरोजगारों को न्याय नही मिला । उम्मीद है कि संवेदनशील और युवा हितेषी कहलाने वाली सरकार अब तो बेरोजगारों की संवेदना को समझेगी और उन्हें नियुक्ति देगी।
- सरकार की यह कैसी हठधर्मिता
आखिर यह सरकार की कैसी हठधर्मिता, आखिर कैसा यह सरकार का न्याय तंत्र,आखिर सरकार का यह कैसा लोकतंत्र, आखिर सरकार की कथनी और करनी में कैसा फर्क,बेरोजगारों के हितेषी कहलाने वाली सरकारे आखिरकार बेरोजगारों की पीड़ा को क्यों नहीं समझ रही है। इन पीड़ित बेरोजगारों के सर में सफेदी और अपने परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ ढोने वाले व्यक्ति न्याय के लिए लगातार संघर्ष करने वाले बेरोजगारो नके हितों पर कुठाराघात करते हुए सरकार अपनी हठधर्मिता को यूं ही पकड़ कर रहेगी या बेरोजगारों की पीड़ा को समझेंगी ।
- अब सर्वोच्च न्यायालय पर टिकी है उम्मीदे
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 से जुड़ा हुआ मामला आज भी सर्वोच्च न्यायालय में प्रक्रियाधीन है । अपने हक और न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे पीड़ित बेरोजगार अधिक अंकधारी युवा वर्ग को आज भी उम्मीद है की पीड़ित बेरोजगारों के हितों को देखते हुये न्यायपालिका न्याय करेगी । सरकार की हठधर्मिता ,गलत नीतियों और उन गलत नीतियों के कारण न्याय से वंचित हो रहे बेरोजगारों के साथ न्याय होगा साथ ही सरकार को यह सख्त हिदायत देगा कि बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात नहीं करें और इन तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 से जुड़े हुए अधिक अंक धारी बेरोजगारों को जल्द से जल्द नियुक्ति दें।
- संवेदनशील निर्णय लेकर नियुक्ति दे सरकार
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 में अधिक अंकधारी पीड़ित वर्षो से न्याय के लिए आर्थिक अभाव में भी न्याय की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो रहे हैं । डबल बेंच के ऑर्डर के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर कर दी इससे सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है । सरकार व सरकारी नुमाइंदों से याचना कर – करके बेरोजगार थक चुके हैं लेकिन सरकार और सरकारी नुमाइंदों से मिलता है तो आश्वासन , मिलता है तो सांत्वना पर न्याय नहीं मिलता । अगर सरकार युवा हितेषी है, बेरोजगारों के साथ न्याय करना चाहती है तो संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 में अधिक अंकधारी संघर्षकर्ता, मजबूर ,बेरोजगारों को नियुक्ति देकर उनके साथ न्याय करें । आवश्यकता है तो सरकार और प्रशासन की सकारात्मक, संवेदनशील सोच और कार्यप्रणाली की, न्याय करने की इच्छा शक्ति की। इस भर्ती से जुड़े हुए लोगों का कहना है की अब सरकार से आश्वासन नहीं बल्कि नियुक्ति चाहिए । इंतजार करते-करते उम्र निकलती जा रही है लेकिन न्यायलय पर विश्वास है कि नया जरूर होगा ।
धन्यवाद सर बहुत ही सुंदर लेख लिखा है आपने टीजीटी 2012 की मार्मिक पीड़ा को व्यक्त करने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं सर उम्मीद करता हूं सरकार इस पर पुनः विचार करेगी और यथोचित न्याय करते हुए दिल नियुक्ति आदेश जारी करेगी
बहुत-बहुत धन्यवाद सर इस लेख को सरकार तक पहुंचाने का और भी कोई माध्यम हो तो उस के माध्यम से पहुंचाने की कोशिश कीजिए सर पुनः आपका धन्यवाद संभवत कुंभकरण की नींद सोई हुई सरकार को जागरण हो सके
टीजीटी2012 के अधिक अंक प्राप्त बेरोजगारों की पीड़ा को महसूस करते हुए अपने जो उनके दुखों को अपना समझते हुए ये मार्मिक चित्रण किया है उसके लिए कोटि-कोटि धन्यवाद , आपके इस प्रयास से शायद सरकार के कानों पर जूं रेंग जाए और जल्दी न्याय पालिका से न्याय दिलाने में मदद मिले ।