चीनी वस्तुओ का बहिष्कार जनता के साथ अब सरकार भी एक्शन में
पिछले दिनों भारत के लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने से भारतीय आहत ओर गुस्से में है साथ ही अपने अपने तरीके से चीन को जवाब देने की बात कर रहे है । धोके से किये गये इस हमले के बाद सीमा पर तनाव है और करारा जवाब देने की मांग करने लगे है ज्ञात ही कि लद्दाख की गलवान घाटी का नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर रखा गया था जो कि भारत का अहम हिस्सा है । गलवान कि इस घटना ओर चीन की हिमाकत से जनता में आक्रोश है और सोशियल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध हो रहा है सी जिनपिंग के पुतले जलाए जा रहे है ओर चीनी सामानों के बहिष्कार करने की मांग ही रही है
चीनी सामानों का बहिष्कार
चीनी वस्तुओ के बहिष्कार की बात कई बार की जा चुकी है लेकिन इस बार बात में दम है क्योकि अब तक चीनी सामान का बहिष्कार सरकार का नही बल्कि जनता का ही नजरिया रहा है लेकिन लगता है इस बार जनता के साथ साथ मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने भी चीनी उत्पादनों का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट कर सबक सिखाने का मन बना ही लिया है। इस बार आम जनता के साथ साथ व्यापारी संगठन ओर स्वदेशी जागरण मंच भी अपने पूर्व मुंड मे है मंच ने केंद्र सरकार से मांग की है कि चीनी सामान के आयात ओर निर्यात पर रोक लगाई जाये, चीनी कंपनियों को भारत ब्लेक लिस्ट में डाला जाये । कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीन को आर्थिक रूप चोट पहुंचाने की ठान ली है. कैट ने चीनी प्रोडक्ट्स के बहिष्कार और भारतीय सामान के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय सामान- हमारा अभिमान’ अभियान शुरू किया है । दिनांक 29 जून 2020 को चीन के खिलाफ मोदी सरकार का बड़ा फैसला, TikTok समेत 59 Apps बैन किये गये । यह सुनकर मानो लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी एक अलग ही अंदाज और एक अलग ही खुशी लोगों में देखने को मिली। हम बहिष्कार बाकी बात तय करते है केवल मोबाइल ,खिलौने या उन वस्तुओं के बालिका तक ही सीमित रह जाते हैं । हर बार हम विरोध तो करते है लेकिन इसे अंजाम तक नहीं पहुंचाते हैं इस बार बात कुछ और है हम चीन से वो वस्तुएं खरीदते हैं जो हमारे यहां उत्पादित नही होती या हमें वहां से सस्ती दरों पर मिलती है । लेकिन इस बार देश की जनता पूरे संकल्प के साथ चीनी उत्पादित वस्तुओं का बहिष्कार करने की ठान चुकी है । जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, चीनी सामानों की होली जलाई जा रही है । हम भारतीय यह समझ चुके है कि चीन के मामलों में बंदूक की गोली से भी अधिक खतरनाक परिणाम चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने से हो सकते है। इन सब से चीन की बौखलाया जाना उसकी इस हताशा को दर्शाता है। भारत में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन और चीनी विरोधी माहौल और चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर चीन की बौखलाहट इस बात को दर्शाती है कि चीनी मीडिया भारत में चीनी कंपनियों को सावधान रहने के लिए कह रहे हैं। चीन की चोरी और सीना जोरी
भारत में चीनी सामानों के हो रहे बहिष्कार से बौखलाये चीन ने अपने अखबार ग्लोबल टाइम्स में कहां है कि- चीनी सामान भारतीय जनता के जीवन का एक हिस्सा बन चुका है और वहां इसका बहिष्कार संभव नहीं है तो सीधे सीधे तौर पर यह भारतीयों , आम ओर जनता के लिए एक चुनौती है । हमें इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए पूरे जोर-शोर से चीनी सामानों को अपनी जिंदगी से बाहर करना होगा चीन को दिखा देना चाहिए कि हम भारतीय हैं और जब जब भी भारत की अस्मिता पर चोट की जाती है ,हम धर्म, संप्रदाय, जाति ,क्षेत्रवाद सब को भूलकर एक होकर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हैं । प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनने और ‘लोकल के लिये वोकल ‘को मध्य नजर रखते हुए स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ना होगा । चीन की यह सीना जोरी G- 20 के होने वाले सम्मेलन में शी जिनपिंग और मोदी जी की मुलाकात के दौर में महंगी पड़ सकती है मुँह की खानी पड़ी सकती है । समय रहते चीन को समझ लेना चाहिए कि सामरिक स्तर पर और आर्थिक मोर्चे पर एक साथ भारत से उलझना उसके हित में नहीं होगा।
आर्थिक मोर्चे पर जवाब देने की जरूरत
आज चीन आर्थिक आधार पर एक महाशक्ति बना हुआ है विदेशी व्यापार ओर उत्पादन के आधार पर अपना दबदबा बना बनाया हुआ है । भारत में भी चीनी वस्तुओं का बड़े स्तर पर आयात होता है पूरा बाजार चीनी उत्पादन वस्तुओं से भरा पड़ा है । चीनी नीतियों के कारण भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है । चायनीज सामान के बहिष्कार को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन में बने सामान का बहिष्कार किया गया तो चीन को बड़ा झटका पहुचेगा क्योकि आर्थिक रूप से मजबूत चीन पर अगर आर्थिक रूप से ही चोट की जाये तो हम उसको करारा जवाब दे सकते है। चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करते हैं तो हमें भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी अतः इस बात के लिए तैयार रहने के साथ-साथ हमें आत्मनिर्भर बनने की हो कदम बढ़ाने होंगे , हमे अपनी नीतियों में बदलाव लाने होंगे ,और हम भारतीय इसमें सक्षम भी है ।
“चारा और छड़ी “की नीति पर चलने वाला ये मुल्क अपनी कुटिलता अपने साम्राज्यवादी, विस्तारवादी नीति पर कार्य करता है। सैन्य स्तर पर उस पर दबाव के साथ साथ कुटनीतिक स्तर पर पर भी जवाब देना होगा अभी माहौल चीन के खिलाफ भी है जब कि कोरोना संक्रमण को लेकर विश्व के अनेक मुल्क चीन के खपा भी है जिसमे अमरीका के अच्छा कूटनीतिक सहयोग मिल सकता है ,चीन को घेरा जाना चाहिये । चीन की नीति हमेशा ही चारा एवं छड़ी की नीति रही है, 1962 में भी हिंदी – चीनी भाई भाई करते-करते पीठ पर छुरा घोंप कर भारत पर युद्ध थोप दिया था । यह देश विश्वास करने लायक नहीं है ।आज आवश्यकता है कि कूटनीतिक स्तर पर चीन को परास्त किया जाए । आर्थिक स्तर पर भी चीन को घेरने की तैयारी करनी होगी अगर आर्थिक स्तर पर चीन का बहिष्कार किया जाये तो उसकी अक्ल ठिकाने आ सकती है। हमारी जरूरतों और सोच को बदलना होगा
चीनी कंपनियों के बहिष्कार करने के साथ-साथ दूसरे मोर्चे पर हमें दूसरी विदेशी कंपनियों को भी भारत में कारखाने लगाने , उत्पादन बढ़ाए जाने के लिए हमें नीतियों में परिवर्तित करने की आवश्यकता है क्योंकि यहां विदेशी कंपनियों को अपने कारखाने लगाने में हमारी नीतियां बड़ी समस्याएं पैदा करती है ।भारत में रोजगार पैदा कर ही हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं कुशलता पैदा कर सकते है । वर्तमान परिस्थितियों में आत्मनिर्भर बन सकते हैं ,मोदी जी का आत्मनिर्भर भारत तथा लोकल के लिये वोकल का नारा बड़ा महत्व ओर मायने रखता है ,नवीन रोजगार का सृजन करके , मेक इन इंडिया को बढ़ावा देकर , ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देकर। साथ ही व्यापारिक संगठनों और सरकार को भी चाहिए की चरणबद्ध तरीके से चीनी वस्तुओं पर निर्भरता को खत्म किया जाये । जनता भी अपना कर्तव्य निभाये
हमारे सैनिक भाई देश की रक्षा मैं हमेशा मुस्तैद रहते हैं, देश के लिए जीते हैं, देश के लिए ही शहीद हो जाते है। बॉर्डर पर चाहे जो मौसम हो ,चाहे जो परिस्थितियां हो, अपना कर्तव्य बखूबी निभाते हैं । क्या देश की अस्मिता और रक्षा का दायित्व केवल सैनिकों का ही है ? क्या आम नागरिक होने के नाते देश के प्रति हमारा कोई कर्तव्य नहीं है ? चीन जैसे कुटिल सोच और बुद्धि वाले देश को जवाब देने में आम नागरिक भी अहम निभा सकता है, बस उसे आर्थिक मोर्चे के आधार पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करके अपना कर्तव्य निभाना चाहिए । हमारा भी कर्तव्य है कि हम भारतीय सामान- हमारा अभिमान’ का हिस्सा बने और इसे सफल बनाएं ।
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