सुबह सुबह मसाले वाली चाय किसे पसंद नही, जायके वाले खाने के साथ अंगुलियां चाटना किसे अच्छा नही लगता है । भारत और भारतीय खाना वह भी जायका वाला और इस जायके में मसाले की अहम भूमिका होती है । भारतीय मसाला विश्व मे अपना अलग ही महत्व रखता है ।
काली मिर्च
विश्वप्रसिद्ध भारतीय गरम मसाले में ऐतिहासिक,उसके औषधीय गुण और आर्थिक दृष्टिकोण से मसालों की रानी काली मिर्च का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।वनस्पति जगत् में Piperaceae कुल के Piper nigrum नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च ( Black Pepper) है। सामान्यतया काली मिर्च के नाम से जाना जाने वाला यह देश के भिन्न भिन्न भागो में भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है। इसे बंगाल में इसे कालो मिर्च एवं गोल मिर्च, तमिल में मिलागु, कन्नड़ में कारे मनसु, उड़िया में गोल मिर्च,तथा कालामारी के नाम से जाना जाता है। इसे देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता रहा है लेकिन काली मिर्च इसका एक पॉपुलर नाम है जिससे हर कोई परिचित हैं।
यहां बहुतायत में पाया जाता है पौधा
काली मिर्च के पौधे का मूल स्थान दक्षिण भारत ही माना जाता है। नमी वाला वातावरण इसके लिये अनुकूल वातावरण रहता है । भारत के अलावा यह इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में भी इसकी खेती विशेषरूप से की जाती है। जहाँ तक भारत की बात है तो यहाँ इसका काली मालाबार के जंगलों में बहुलता रूप में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त कोचीन, मैसूर,महाराष्ट्र तथा असम के सिलहट और खासी के पहाड़ी इलाके इसकी खेती के लिए अनुकूलता वाले क्षेत्र है ।
इस प्रकार तैयार होती है काली मिर्च
काली मिर्च के पौधे से उत्पन्न सूखे फलों के छिलकों को उतारकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है। चिरमी आकार की इस काली मिर्च का व्यास लगभग 5 मिमी होता है। तथा यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है।पौधे से फूल, फल आने से लेकर उसे एक विशेष प्रक्रिया से काली मिर्च का रूप दिया जाता है।
काली मिर्च के गहरे हरे रंग के घने पौधों पर जून – जुलाई में छोटे छोटे सफेद और हल्के पीले रंग के फूल आने लगते हैं और जनवरी फरवरी, और मार्च माह तक ये फल नारंगी रंग के फल पककर तैयार हो जाते हैं। इन पके फ्लो को धूप में सुखाया जाता है। धीरे धीरे ये फल पूरी तरह सूख जाने पर गोल मिर्च के दानों पर सिकुड़ने से झुरियाँ पड़ जाती हैं और इनका रंग गहरा काला हो जाता है। स्वाद के तीखी और प्रकृति से गरम तासीर वाली काली मिर्च तैयार होती है।
विदेशो में होती है निर्यात
मसालों में काली मिर्च भारत के दक्षिण पश्चिम भारत में इसकी विशेष उत्पादन होता है । भारत मे पैदा होने वाली यह काली मिर्च विदेशो में भी बहुत पसंद की जाती है और इसकी मांग भी रहती है । इस कारण यह विदेशो में निर्यात भी की जाती है । एक अनुमान के अनुसार से प्रतिवर्ष भारत से करोड़ो रुपए की काली मिर्च विदेशों में भेजी जाती है।
इसके दानों में पिपेरीन (Piperine), पिपेरिडीन (Piperidin) और चैविसीन (Chavicine) नामक ऐल्केलायडों के अतिरिक्त एक सुगंधित तैल इत्यादि पाए जाते हैं।
घरेलू उपायों में काली मिर्च
मसाले की रानी कहलाने वाली काली मिर्च हर घर की रसोई की शोभा बढ़ाती है । साथ ही इसे दादी नानी के घरेलू नुस्खे में भी इसे अपनाया जाता रहा है। दादी नानी के घरेलू नुस्खे को सच माने तो बताया जाता है कि काली मिर्च के कुछ दाने गाय के घी में मिलाकर नियमित सेवन से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है।
काली मिर्च माजूफल और सेंधा नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर कुछ बूंद सरसों के तेल में मिलाकर लगानें से दांतों और मसूड़ों समस्या दूर हो जाती है ।
खाने में सलाद, ककड़ी ,प्याज, टमाटर काट कर उन पर काली मिर्च और सेंधा नमक लगाकर खाया जाता है। इसका नियमित सेवन स्वास्थ्यवर्धक रहता है।
आयुर्वेद में भी होता है उपयोगी
काली मिर्च न केवल हमारी रसोई का जायका बढ़ाती है बल्कि यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में भी एक रामबाण औषधि के रूप में कार्य करती है । प्राचीन समय से ही हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में काली मिर्च के गुणों और उसके उपयोग पर प्रकाश डाला जाता रहा है। आयुर्वेदिक के साथ-सथ घरेलू नुस्खा दादी नानी के नुस्खे में भी काली मिर्च का उपयोग किया जाता रहा है ।
कृष्ण गोपाल कालेड़ा आयुर्वेदिक औषधालय के वरिष्ठ वैद्य श्री हनुमान प्रसाद शर्मा ने भी काली मिर्च के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि काली मिर्च न केवल हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं बल्कि यह अनेक रोगों के उपचार में भी अपनी उपयोगिता साबित करती हैं ।
1.काली मिर्च सुगंधित उत्तेजक और स्फूर्तिदायक वस्तु है। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्साशास्त्रों में इसका उपयोग कफ वात श्वास अग्निमांद्य उन्निद्र इत्यादि रोगों में होता है।
2. आयुर्वेद और यूनानी चिकित्साशास्त्रों में इसका उपयोग कफ वात श्वास आदि रोगों में बताया गया है।
3. भूख बढ़ाने और बुखार मे उपचार के लिए दक्षिण में तो इसका विशेष प्रकार का रसम भोजन के साथ पिया जाता है।
4. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है. आप काली मिर्च खाने से अपनी कई बीमारियों का इलाज घर बैठे कर सकते हैं । काली मिर्च का सेवन कई प्रकार की बीमारियों से आपको राहत देती है।
.गुणकारी ,उपयोगी, और लाभकारी है काली मिर्च
काली मिर्च खाने के जायके को बढ़ाने के साथ साथ अपने औषधीय गुणों के कारण भी महत्व रखती है ।इसके दानों में पिपेरीन (Piperine), पिपेरिडीन (Piperidin) और चैविसीन (Chavicine) नामक ऐल्केलायडों के अतिरिक्त एक सुगंधित तैल आदि पाए जाते हैं।
1. कालीमिर्च के दानों से मोटापा थाइरोइड और बवासीर जैसी गंभीर बीमारियां तक में यह कारगर साबित होती हैं।
2.आज कल बच्चे हो या बड़े सब मे मोटापा एक समस्या बनती जा रही है । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेद के अनुसार काली मिर्च वजन कम करने का अचूक उपाय है।
3. थाइरोइड की समस्या में भी उसका उपयोग सार्थकता प्रदान करता है ।इस समस्या से निजात पाने के लिए रोज़ाना कालीमिर्च के दानों का पावडर सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ लेने से इस भयंकर बीमारी से मुक्ति मिलती है।
4. बवासीर से निजात पाने के लिए कालीमिर्च जीरा और शक्कर या मिश्री का मिश्रण तैयार किया जाता है अब इस मिश्रण का रोज सुबह-शाम पानी के साथ खाने से यह शरीर से टॉक्सिन्स को निकाल बाहर करने में भी कारगर बताया जाता है।
5. काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी और जुकाम से आपको राहत मिलती है. साथ ही इसके सेवन से आपका गला भी साफ रहता है।
6. पेट का संक्रमण हो या स्किन इंफेक्शन कालीमिर्च हर तरह के संक्रमण को ठीक कर देती है। काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है ।
7. काली मिर्च खाने से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन बनता है, जो अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होता है। मस्तिष्क में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ने से टेंशन और डिप्रेशन ठीक हो जाता है। इसलिए रोजाना अपने खाने में काली मिर्च का इस्तेमाल करें और खुशमिजाज रहें ।
8. हरे पुदीने की पत्ती सौंफ मिश्री और काली मिर्च के मिश्रण को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल कर पीने से हिचकी समस्या दूर हो जाती है ।
9 .आधुनिक जीवनशैली के बीच गैस और एसिडिटी की समस्या आम है। इस प्रकार की समस्या में काली मिर्च अपनी उपयोगिता स्वयं सिद्ध करती है।
10. नींबू के रस में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर लें होने वाले दर्द में आपको तुरंत आराम मिल जाता है।
11 कालीमिर्च में विटामिन सी विटामिन ए फ्लेवोनॉयड्स कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
12. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, जुकाम होने, बदलते मौषम के कारण हो रही परेशानियों से निजात देती है ये काली मिर्च अगर आप सुबह खाली पेट 2 से 3 काली मिर्च अदरक, तुलसी के साथ सेवन करते हो।
13 काली मिर्च से गला साफ रहता है, जुकाम से गला भारी होने आवाज भारी हो जाने में भी काली मिर्च राहत देती है ।
निसंदेह काली मिर्च के फायदे अनेक हैं लेकिन कहां जाता है कि हर चीज की अति बुरी होती है । अगर आप किसके सेवन को अपने नियंत्रण में रखेंगे, आवश्यकता के अनुसार इसका उपयोग करेंगे तो यह आपके लिए लाभकारी होगी लेकिन आवश्यकता से अधिक इसका उपयोग करें तो यह कुछ सीमा तक नुकसानदायक भी हो सकती हैं । क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी हो सकती है। काली मिर्च से जिनको एलर्जी है वही सेवन से बचें ।