बजट एक ऐसा शब्द है जिससे हर आम और खास, सरकार हो, सरकारी नुमाइंदे या देश सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक औधोगिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और यहां तक कि समाज का हर पहलू इससे प्रभावित होता है हर हर कोई परिचित होता है । हर किसी के मुंह से सुनने को मिलता है कि इस बार बजट ठीक नहीं रहा, इस बार बजट ठीक रहा या इस बार घर का बजट बिगड़ा हुआ है। अब सवाल ये उत्पन्न होता है कि आखिर बजट होता क्या है। क्या है इसका पूरा इतिहास । आइए जानते हैं आज बजट शब्द का अर्थ और भारत में उससे जुड़े हुए तथ्यात्मक आंकड़ों की पूरी जानकारी।
- बजट क्या होता है ?
सामान्यतया किसी संस्था, किसी संगठन या सरकार के अग्रिम वित्तीय वर्ष में होने वाली आय और व्यय की संभावनाओं का अनुमानित लेखा-जोखा ही बजट कहलाता है। हालांकि भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद में बजट शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है और न ही इस शब्द का उल्लेख है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट शब्द की जगह वार्षिक आय- व्यय विवरण शब्द का उल्लेख है।
- बजट शब्द का अर्थ
आज हर आम और खास व्यक्ति की जुबान पर यह बजट शब्द प्रचलित है जो मुख्यतया फ्रांसीसी भाषा के “बुजट”शब्द से बना है। जिसका अर्थ होता है “चमड़े का थैला” बुजट शब्द से बजट शब्द की यात्रा के पीछे एक रोचक कहानी,एक परंपरा बताई जाती है आइए आज आपको उससे परिचित करवाते हैं।
- यह है बजट की पूरी कहानी
बजट शब्द के पीछे भी इंग्लैंड में प्रचलित एक रोचक कहानी है । बताया जाता है कि सन 1773 में तत्कालीन सरकार में वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल अपने वित्तीय प्रस्तावों को सदन के सामने प्रस्तुत करने के लिए वित्तीय कागजातों, दस्तावेजों को एक चमड़े के थैले में लेकर आये और उस थैले को खोल कर उन्होंने वित्तीय प्रस्ताव सदन के सामने प्रस्तुत किये तब सदन के सदस्यों ने ही उनका परिहार उड़ाते हुए कहा कि देखो देखो बुजट लेकर आए हैं , बजट खोल रहे हैं। धीरे-धीरे यही बजट शब्द स बजट में रूपांतरित हो गया जिसका प्रयोग सरकार के आय और व्यय के विवरण के लिए किया जाने लगा । आज यही बजट शब्द पूरे विश्व में सरकार के आय और व्यय के विवरण के लिए प्रयोग में किया जाता है।
- केंद्र और राज्य का अलग-अलग बजट कब से
भारत शासन अधिनियम 1919 जिसे मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम 1919 भी कहा जाता है,इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत ही सर्वप्रथम भारत में राज्यों के बजट से केन्द्र के बजट को अलग कर दिया गया तथा राज्य विधानसभाओं को अपना बजट बनाने के लिए अधिकृत किया गया । स्वतंत्रता के पश्चात भी केंद्र और राज्य सरकारो का अलग-अलग बजट तैयार कर अलग-अलग स्वयं विधानसभाओं में ही प्रस्तुत किया जाता है।
- सामान्य बजट और रेल बजट को कब अलग किया
भारत में सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम 1919 के तहत रेल बजट को आम बजट से अलग करने का प्रावधान किया गया था। जिसका उद्देश्य रेल विभाग में लचीलापन लाने, रेलवे राजस्व से सुनिश्चित वार्षिक अंशदान उपलब्ध करवाकर सामान्य राजस्व की सत्ता सुनिश्चित करना और रेलवे को नीति निर्धारण करने के अवसर उपलब्ध करवाना था ।
सन 1921 में रेलवे से संबंधित जुड़े हुए एक व्यक्ति/अधिकारी एकवर्थ की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसने रेल बजट को सामान्य बजट से अलग करने का परामर्श दिया । इसी परामर्श के आधार पर सन 1924 में सर्वप्रथम रेल बजट को सामान्य बजट से अलग किया गया,तभी से ऐसी परंपरा बन गई जो कि आजादी के बाद भी जारी रही।रेल बजट रेल मंत्री के द्वारा और सामान्य बजट वित्त मंत्री के द्वारा अलग-अलग प्रस्तुत किए जाने की एक परंपरा स्थापित हो गई थी।
आजादी और संविधान लागू होने के लंबे समय उपरांत तक रेल बजट और सामान्य बजट को अलग अलग ही पेश किए जाने की परंपरा रही लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सामान्य बजट और रेल बजट अलग-अलग पेश किए जाने की प्रावधान को समाप्त कर दोनों का समायोजन/एकीकरण कर दिया गया । अब अलग-अलग प्रस्तुत न करके एक ही बजट प्रस्तुत होता है।
- संविधान में अलग से रेल बजट का प्रावधान
स्वतंत्रता के पश्चात भी ब्रिटिश परंपरा को ही अपनाया जाता रहा और रेल बजट को सामान्य बजट से अलग ही प्रस्तुत किया जाता रहा लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संविधान में दोनों अलग-अलग बजटो का प्रस्तुत किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही रेल बजट का अलग से कोई प्रावधान है। यह केवल एक ब्रिटिश परंपरा थी। आपको बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका ,फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, रूस जैसे देशों में भी रेल बजट को सामान्य बजट से अलग प्रस्तुत करने की कोई परंपरा कोई व प्रावधान नहीं है।
- रेल बजट का सामान्य बजट में समावेश कब किया
सन 1924 से रेल बजट को सामान्य बजट से अलग प्रस्तुत किए जाने की जो परंपरा स्थापित हुई,वह प्रावधान 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में रेल बजट का सामान्य बजट में समावेश कर दिया गया । अब यह अलग से प्रस्तुत नहीं किया जाता है। तत्कालीन समय में नीति आयोग के सदस्य श्री विवेक ओबरॉय की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय कमेटी ने इन दोनों को समावेशित /एकीकरण करने का महत्वपूर्ण परामर्श दिया था, जिसे मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में मंजूर भी कर लिया। सन 2016 में रेल बजट अंतिम बार अलग से प्रस्तुत हुआ था। सन 2017- 18 के बजट में एक ही बजट(सामान्य बजट) प्रस्तुत हुआ।
- अब 01 फरवरी को होता है बजट पेश
प्रति वर्ष 1 अप्रैल से अग्रिम 30 मार्च तक का सत्र माना जाता है इससे पूर्व फरवरी के अंतिमसप्ताह में बजट प्रस्तुत की जाने की परंपरा रही, लेकिन तत्कालीन मोदी सरकार के द्वारा इसे 01 फरवरी को बजट प्रस्तुत की जाने की अनिवार्यता कर दी, ताकि 01 अप्रैल से लागू होने वाले बजट वर्ष के लिए तैयारियों का पर्याप्त समय मिल जाए।
- किसने पेश किया देश का अंतिम रेल बजट
सितंबर 2016 में रेल बजट का समावेशन सामान्य बजट में करने को अनुमति मिल गई थी । उससे पहले सन 2016 में ही तत्कालीन रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने भारत का अंतिम रेल बजट प्रस्तुत किया था क्योंकि 2017 से सामान्य बजट और रेल बजट दोनों अलग-अलग प्रस्तुत न करके केवल सामान्य बजट ही प्रस्तुत किया जाता है।
- किसने किया सर्वाधिक बार बजट पेश
स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा आम बजट पेश करने का रिकॉर्ड देश के पूर्व प्रधानमंत्री दादा भाई मोरारजी देसाई के नाम है जिन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए 10 बार आम बजट पेश किया । मोरारजी देसाई के बाद दूसरे नंबर पर सर्वाधिक बार बजट प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति पी चिदंबरम का नाम आता है।
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