लोकतंत्र की प्रारंभिक पाठशाला पंचायतीराज संस्थाओं का प्रावधान भारत में प्राचीन समय से ही विद्यमान रहा है। इन संस्थाओ को अलग-अलग काल में अलग अलग नाम और व्यवस्थाओं के रूप जाना जाता रहा है। वैदिक काल,बौद्ध काल, मौर्य काल और मुगल काल में भी इसका अस्तित्व रहा है । जहां तक आधुनिक समय की बात है तो अंग्रेजो शासन काल मे अंग्रेजो के द्वारा पंचायतीराज जिसे स्थानीय स्वशासन के नाम से जाना जाता था का प्रावधान रहा और चरणबद्ध तरीके से इसका विकास हुआ है ।
- पंचायती राज के विकास का दौर
अंग्रेजी शासन काल के दौरान सर्वप्रथम 1870 में लॉर्ड मेयो ने शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने का प्रयास किया लेकिन यह प्रयास असफल रहा। उसके पश्चात सन 1882 में लॉर्ड रिपन ने भी स्थानीय स्वशासन की स्थापना का एक सफल प्रयास किया इसीलिए लॉर्ड रिपन को ही स्थानीय स्वशासन / पंचायतराज का जनक कहा जाता है। इसके अतिरिक्त 1919 के मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम तथा 1935 के अधिनियम में भी इस पर कुछ प्रगति हुई ।
- शाही आयोग 1907
स्थानीय संस्थाओं की जांच हेतु सन 1907 में अंग्रेज सरकार के द्वारा CEH हाब हाउस की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बनाया गया था , जिसे राजकीय विकेंद्रीकरण आयोग या शाही आयोग के नाम से जाना जाता है।
भारतीय स्वतंत्रता के पश्चात गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार करने के लिए संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाग 4 में नीति निदेशक तत्व के अंतर्गत अनुच्छेद 40 में पंचायती राज का प्रावधान किया । संविधान लागू होने से लेकर वर्तमान समय तक पंचायत राज के विकास का अनवरत दौर रहा । कई उतार-चढ़ाव आए और समय-समय पर कई समितियों का गठन भी हुआ। कुछ समितियों के सुझावो को लागू भी किया गया । यह दौर वर्तमान समय तक जब ग्रामीण पंचायतराज /नगरीय पंचायत राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया।
- पंचायती राज से संबंधित प्रमुख समितियां और आयोग
पंचायतराज के इस उतार-चढ़ाव के दौर में पंचायत राज संस्थाओं की मजबूती और सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से सरकार ने जिन समितियों का गठन किया उनमें से कुछ महत्वपूर्ण समितियों व अध्ययन दलों के बारे में जानकारियां निम्न प्रकार से है।
संविधान लागू होने के पश्चात देश में गठित पहली लोकतांत्रिक सरकार में पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों से 02 अक्टूबर 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम (अमेरिकी तकनीकी सहयोग) संचालित किए जाने का प्रावधान किया गया हालांकि यह प्रयास आशा और अपेक्षाओं में पूर्णतया खरा नहीं उतरा।
- (1) बलवंत राय मेहता समिति 1957
पंचायतीराज से संबंधित यह पहली और एक महत्वपूर्ण समिति थी , 2 अक्टूबर 1952 को स्थापित सामुदायिक विकास कार्यक्रम की असफलता के परिणामस्वरूप इसकी जांच करने व सलाह देने के लिए जनवरी 1957 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जिसे सामान्यतया “बलवंत राय मेहता समिति 1957” के नाम से जाना जाता है। इस समिति ने तत्कालीन परिस्थितियों का अध्ययन करने के पश्चात 24 नवंबर 1957 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी।इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में पंचायती राज को त्रिस्तरीय बनाए जाने जैसा महत्वपूर्ण सुझाव दिया था।
ध्यातव्य –
इस समिति के परामर्श के आधार पर ही 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले के बगदरी गांव में आधुनिक पंचायत राज का उद्घाटन किया। पंचायत राज के उद्घाटन के पश्चात इसके प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए समय समय पर समितियों के साथ अनेक अध्ययन दलों का गठन किया जैसे-
- (2) वी.के राव समिति 1960
केंद्र सरकार के द्वारा सन 1960 में जी.वी.के. राव की अध्यक्षता में पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित जिसमें पंचायत समिति की स्थिति किस प्रकार से तर्कसंगत है और उसके औचित्य पर परामर्श देने के लिए इसका गठन किया गया था।
- एस.डी. मिश्र अध्ययन दल 1961
पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित कांग्रेस सरकार के द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं तथा सहकारिता का अध्ययन करने हेतु इस समिति का गठन 1961 में किया गया था।
- वी. ईश्वर अध्ययन दल 1961
पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित प्रशासन को किस प्रकार सुदृढ़ बनाया जाए । इस उद्देश्य को मध्यनजर रखते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने वी. ईश्वर की अध्यक्षता में इस समिति का गठन सन 1961 में तत्कालीन आवश्यकता के तहत किया था।
- -जी. आर. राजगोपाल अध्ययन दल 1962
सन 1962 में पंचायती राज का एक अहम हिस्सा न्याय पंचायत के गठन के अध्ययन हेतु जी.आर. राजगोपाल की अध्यक्षता में एक अध्ययन दल का गठन किया गया ।जिसमें न्याय पंचायत के माध्यम से स्थानीय न्याय पंचायत को किस प्रकार सुदृढ़ किया जाए का अध्ययन करना था।
- (3) दिवाकर समिति 1963
ग्रामीण पंचायती राज का एक है अहम अंग ग्राम सभा की स्थिति की समीक्षा करने के लिए सन 1963 में इस समिति का गठन किया गया था।
- एम रामा कृष्णनैया अध्ययन दल 1963
तत्कालीन केंद्र सरकार के द्वारा सन 1963 में एम. रामाकृष्णनेया की अध्यक्षता में पंचायतीराज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने के लिए तथा पंचायत राज संस्थाओं के आय और व्यय की गणना के उद्देश्य को मध्य नजर रखते हुए इस अध्ययन दल का गठन किया गया था।
- (4) के. संथानम समिति 1963
पंचायती राज संस्थाओं के लिए वित्त की व्यवस्था हेतु सुझाव देने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने सन 1963 में के .संथानम की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया। इस समितिने अपनी रिपोर्ट में पंचायतीराज वित्त निगम के गठन का परामर्श दिया था।
- (5) के. संथानम समिति 1965
पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन की रूपरेखा संबंधी अध्ययन के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्रीत्व काल में के. संथानम समिति 1965 का गठन किया गया।
- आर.के. खन्ना अध्ययन दल 1965
तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय स्थिति को मध्य नजर रखते हुए लेखा और अंतिम क्षण के अध्ययन और उस पर परामर्श देने के लिए आर.के. खन्ना के अध्यक्षता में एक अध्ययन दल का गठन किया गया।
- (6) जी. रामचंद्रन समिति 1966
पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण एवं कार्यप्रणाली को मजबूती देने के लिए व पंचायतों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की आवश्यकता महसूस की गई और इस पर अध्ययन करने के लिए ही सन 1966 में जी.रामचंद्रन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
- वी रामनाथन अध्ययन दल 1969
सन 1969 में वी. रामनाथन की अध्यक्षता में भूमि सुधार के प्रभावी उपायों और उन्हें लागू करने में सामुदायिक विकास अभिकरण व पंचायत राज संस्थाओं की भूमिका पर सलाह देने के लिए इस अध्ययन दल का गठन किया गया था।
- एम रामाकृष्णनेया अध्ययन 1972
पांचवी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत पंचायतीराज एवं सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्य और उनकी भूमिका का अध्ययन करने के लिए एम. रामाकृष्णनेया की अध्यक्षता में इस अध्ययन दल का गठन किया गया।
- (7) दया चौबे समिति 1976
बलवंत राय मेहता समिति के पश्चात जिस पंचायत राज की स्थापना हुई थी ,उस पंचायत राज की कार्यप्रणाली और सामुदायिक विकास की समीक्षा करने के उद्देश्य से दया चौबे के अध्यक्षता में सन 1976 में इस समिति का गठन किया गया।
- (8) अशोक मेहता समिति 1977
पंचायती राज की समीक्षा करने एवं उसे और अधिक प्रभावी बनाने हेतु तत्कालीन जनता पार्टी सरकार के द्वारा 12 सितंबर 1977 को श्री अशोक मेहता की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय समिति का गठन किया गया । इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सन 1978 में प्रस्तुत की थी । बलवंत राय मेहता समिति के पश्चात यह भी एक भी एक महत्वपूर्ण समिति थी जिसने अपनी रिपोर्ट में पंचायत राज संस्थाओं को द्विस्तरीय बनाए जाने तथा पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने जैसा महत्वपूर्ण परामर्श दिया था।
- (9) दांतेवाला समिति 1978
सन 1978 में पंचायत राज के मध्यम स्तर जिसे खंड स्तर कहा जाता है ,उस पर योजना का एकस्वरूप बनाने का अध्ययन करने एवं सलाह देने के लिए इस समिति का गठन किया गया।
- (10) हनुमंतराव समिती 1984
जिला स्तरीय योजना के स्वरूप के अध्ययन हेतु हनुमंत राव की अध्यक्षता में सन 1984 में यह समिति का गठन किया गया।
- (11) जी.वी.के. राव समिति 1985
ग्रामीण सरकार के पुनसंरचना के उद्देश्य से तत्कालीन केंद्र सरकार और योजना आयोग ने सन 1985 में जी. वी. के.राव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण परामर्श दिया कि पंचायत राज संस्थाओं को चार स्तरीय बनाया जाए।
- (12) लक्ष्मीमल सिंघवी समिति 1986
पंचायत राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से तत्कालीन समय की राजीव गांधी सरकार ने सन 1986 में लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में परामर्श दिया कि पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया जाए तथा ग्राम सभा का गठन किया जाए।
- (13) पी. के. थूग्गल समिति 1988
जिला स्तरीय प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे के विकास और सुंदरीकरण की योजना बनाने के उद्देश्य से सन 1988 में पी.के.थूंगल की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया। ध्यान रहे इस समिति के द्वारा प्रत्येक राज्य में वित्त आयोग स्थापित करने तथा पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किए जाने का परामर्श दिया।
- (14) बी.एन. गाडगिल समिति 1988
पंचायत राज के स्वरूप और उसकी रूपरेखा के अध्ययन हेतु सन 1988 में बी.एन गाडगिल की अध्यक्षता में समिति का गठन किया । इस समिति ने सन 1989 की अपनी रिपोर्ट में पंचायत राज संस्थाओं को त्रिस्तरीय बनाए जाने जैसी महत्वपूर्ण सलाह दी।
- (15) नाथूराम मिर्धा समिति 1991
तत्कालीन पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के द्वारा नाथूराम मिर्धा की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया। ध्यान रहे इसी समिति के परामर्श के आधार पर ही 73वें संविधान संशोधन पारित हुआ था।
- (16) भूरिया समिति 1994
दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में तत्कालीन सरकार के द्वारा “भूरिया समिति 1994 ” का गठन संविधान के नोवे भाग के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार देने के लिए सिफारिश हेतु किया गया था । इसी समिति के परामर्श के आधार पर ही सन 1995 पेसा (PESA)अधिनियम 1996 बनाया गया।
ध्यातव्य
पैसा(PESA) केंद्रीय अधिनियम के तहत राज्यों में कानून और नियमों में समरूपता बनाए रखने के उद्देश्य से एक मॉडल गाइडलाइन/ आदर्श गाइडलाइन बनाने के लिए पंचायत राज मंत्रालय के द्वारा अगस्त 2006 में बी. डी. शर्मा की अध्यक्षता में उप समिति का गठन किया गया था।
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