Category: Religious , Cultural & historical Issues

ढोला-मारू कौन थे ? प्रेम का प्रतीक तोरण द्वार राजस्थान के किस गांव में है ?

प्रेम और प्रेम की निशानीयो का सवाल मन और मस्तिष्क में आते ही लोग ताज महल की बात करने लगते है लेकिन हम भूल जाते है की भारत प्रेम ,त्याग…

बघेरा कल्याण: बघेरा का कल्याण मंदिर अपनी ऐतिहासिकता, प्राचीनता और मीनाकारी की वजह से आज भी अपनी अलग पहचान रखता है।

राजस्थान के टोंक जिले में मालपुरा …जयपुर रोड पर डिग्गी ग्राम में कल्याण मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है जो न केवल राजस्थान बल्कि भारत में भी…

अजमेर के तारागढ़ दुर्ग का मेवाड़ रियासत और टोंक जिले के आधुनिक कस्बे टोडारायसिंह से गहरा सम्बन्ध रहा है।

अजमेर जिले के अंतिम छोर पर बसे ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पौराणिक गांव बघेरा से करीब 15 किलोमीटर दूर टोडारायसिंह (जिला टोंक) जो की एक तहसील मुख्यालय हैं, एक ऐतिहासिक कस्बा…

वराह मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया था ?(When and who built the Varaha temple ?)

वराह मंदिर का नाम सुनते ही केकड़ी जिले के विश्व प्रसिद्ध वराह मंदिर का खयाल मन और मस्तिष्क में आ जाता है । वैसे भारत के कई शहरों और कस्बों…

हाड़ी रानी की बावड़ी कहां है ? यह बावड़ी अपनी भूल भुलैया और वैभवता के कारण है प्रसिद्ध ।

धोरा की धरती ,वीर प्रसूता और आन- बान- शान और वैभव की धरती राजस्थान राज्य के टोंक जिले में संत पीपा की तपोभूमि टोडारायसिंह शहर में टोडारायसिंह-बघेरा-केकड़ी मार्ग पर स्थित एक ऐतिहासिक और…

केकड़ी जिले के बघेरा गांव में भी है अजंता एलोरा जैसी कलाकृतियां (अस्तल मंदिर)

    राजस्थान के केकड़ी जिले मे बघेरा तहसील में बघेरा के नाम से प्रसिद्ध एक छोटा सा कस्बा जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है प्राचीन कला संस्कृति और सभ्यता…

ब्रह्माणी माता मंदिर कहा है ? ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व रखता है बघेरा का ब्रह्माणी माता मंदिर धाम

राजस्थान के अजमेर जिले में केकड़ी तहसील में बघेरा के नाम से प्रसिद्ध एक कस्बा जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है प्राचीन कला संस्कृति और सभ्यता को अपने में…

केकड़ी जिले का बघेरा गाँव जहाँ ढोला मारू की प्रेम गाथा आज भी जीवंत हैं

    राजस्थान की वीर प्रसूता धरा शौर्य के साथ प्रेम और बलिदान की गाथाओं से भी भरी है। प्रेमी युगल ढोला-मारू के प्रेम और समर्पण   की कथा राजस्थानी लोक गीतों…

बघेरा में विष्णु के दशावतार भगवान वराह की अद्वितीय प्रतिमा है

हमारा  देेश और प्रदेश आध्यात्मिकता, पौराणिकता और ऐतिहासिकता को समेटे हुए है  हजारों- वर्षो  से  यही परंपरा  चली आ रही है युगों- युगों  से धर्म ओर आध्यात्मिकता तथा धार्मिक ओर…

केकड़ी जिले के इस गांव में है,सूर वराह और नर वराह की अद्वितीय और ऐतिहासिक प्रतिमायओ का अनूठा संगम।

राजस्थान के केकड़ी जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित और ऐतिहासिक,पौराणिक धार्मिक कस्बा जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है बल्कि इसकी ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता, और पौराणिकता को अपने…

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