संसद (Parliament) के मानसून सत्र में भारत सरकार के सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्री डॉ.वीरेंद्र कुमार 9 अगस्त 2021 को 127 वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 Constitution (One Hundred and Twenty Seventh) Amendment Bill 2021 लोकसभा में प्रस्तुत किया गया । जहां 385 सदस्यों ने इसके समर्थन में मतदान किया जबकि इस विधेयक (Bill) के बारे मे विपक्ष ने सरकार का पूरा साथ दिया था और इसके विरोध में एक भी मत नहीं पडा।लोकसभा(Lok sabha) में उसके पारित होने के बाद यह राज्यसभा में भेजा गया । जहाँ 11अगस्त 2021 को हुये मतदान में 187 सदस्यों ने इस संविधान संशोधन विधेयक(Bill) के पक्ष में मतदान किया जबकि किसी भी सदस्य ने इसके विरोध में एक भी मत नहीं डाला गया।
- इस वजह से लाया गया यह संशोधन विधेयक
संसद में भले ही 127 वां संविधान संशोधन विधेयक 202 पारित हो गया लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि यह संशोधन विधेयक मानसून सत्र में ही लाना पड़ा ,तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस संविधान संशोधन विधेयक के पीछे मूल वजह 124 वां संविधान संशोधन विधेयक 2017 (Constitution (One Hundred and Twenty fourth) Amendment Bill 2017) के प्रावधान है जो कि 102 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2018 Constitution (One Hundred two) Amendment Act 2018) के रूप में सामने आया था।
इस विधेयक (127 वे संविधान संशोधन विधेयक)के प्रावधानों को जानने से पूर्व यह आवश्यक है कि पहले इसके लाये जाने की मूल वजह 102 वे संविधान संशोधन अधिनियम के प्रावधानों को जान लिया जाए ।
- 102 वे संविधान संशोधन अधिनियम के इन प्रावधानों पर था विवाद
102 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के द्वारा भारतीय संविधान की तीन अनुच्छेदो में बड़ा बदलाव आया था । ० अनुच्छेद 338 B, ० अनुच्छेद 342,A० अनुच्छेद 366,
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338B के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया । अनुच्छेद 342 में अनुच्छेद 342 A जिसमे 2 धाराएं जोड़कर आरक्षण से सम्बंधित नवीन प्रावधान किये गये। इसकी धारा 1 में यह स्पष्ट है कि संघ सरकार की नौकरियों में किसी भी जाति को ओबीसी( Other Backward Castes) में शामिल करने की अधिसूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाएगी। इसके साथ ही धारा 2 में इसके संबंध में उल्लेख किया कि राज्यो के मामलों में इस प्रकार की अधिसूचना राज्यपाल के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी ।
इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 366 में 26C जोड़ा गया । यह स्पष्ट है कि किसी भी राज्य में कौन सी जाति ओबीसी वर्ग में आएगी या नहीं आएगी इसको परिभाषित किया गया ।
- कुछ इस प्रकार आया विवाद सामने
102 वे संविधान संशोधन अधिनियम निर्माण से पूर्व जब संसद में इस बिल (124 वे विधेयक) पर चर्चा हो रही थी तब भी इस प्रकार की बातें सामने आई और विपक्ष द्वारा आरोप लगाया कि इस संविधान संशोधन से भारत के संघात्मक स्वरूप का उल्लंघन होगा और राज्य सरकारों के अधिकारों को केंद्र ने छीन लिया है ।
- मराठा आरक्षण और संशोधन
इसी दौरान महाराष्ट्र में मराठों को जो आरक्षण दिया गया था इस कारण महाराष्ट्र में उसकी सीमा 50% की सीमा को पार करता है। परिणामस्वरूप यह मामला मुंबई हाईकोर्ट (High Court) में पहुंचा तो हाईकोर्ट ने इस आरक्षण को संविधान के अनुकूल मानते हुए अपना निर्णय दिया।
मुंबई उच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात यह मामला देश के सबसे बडी अदालत सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) में पहुंचा,जहां पर मराठा आरक्षण का यह मामला “जय श्री लक्ष्मी राव पाटिल बनाम मुख्यमंत्री (महाराष्ट्र )” के नाम से जाना जाता है। इसकी सुनवाई के पश्चात 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हाल ही में निर्णय दिया कि 50% का आरक्षण दिया जाना असंवैधानिक है। न्यायालय के इस फैसले का प्रभाव भारतीय संविधान के 102 वां संविधान संशोधन अधिनियम पर भी पड़ा ।इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि कौन सी जातियां अन्य पिछड़े वर्ग में आएगी या नहीं आएगी, इस संदर्भ में अधिसूचना राष्ट्रपति के द्वारा ही जारी की जा सकती है।बस यही संविधान संशोधन 127 वे संविधान संशोधन विधेयक की मुख्य वजह है। हालांकि न्यायालय ने संविधान की सटीक व्याख्या की हैं ।
- केन्द्र ने लगाई SC में पुनर्विचार याचिका
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने रिट पिटीशन( पुनर्विचार याचिका) लगाई जिसे न्यायालय ने 1 जुलाई 2021 को खारिज कर दिया। इस फैसले के पश्चात यह स्पष्ट हो गया कि किसी भी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश में कौन सी जाति पिछड़े वर्ग में आएगी या नहीं आएगी इस बारे में अधिसूचना जारी करने का अधिकार राष्ट्रपति को ही होगा। भले ही इस बारे में संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श किया जाता हैं ।इस निर्णय से केेंद्र सरकार को एक झटका था।
- केंद्र सरकार ने संशोधन का बनाया मानस
किसी भी जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करने और नहीं करने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान में ही संशोधन लाकर इस प्रावधान को बदलने की पहल की और इसी पहल के तहत मानसून सत्र में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में 127 वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 प्रस्तुत किया जो कि संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया । अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह 105 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2021 के रूप में लागू होगा।
- क्या बदलने वाला है इस संशोधन के बाद
संविधान में संशोधन के लिये लाये गए 127 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में कोई नया अनुच्छेद नहीं जोड़ा जा रहा है बल्कि इस संविधान संशोधन के द्वारा तीनों अनुच्छेदों ( अनुच्छेद 338 B,अनुच्छेद 342, अनुच्छेद 366)में संशोधन और बदलाव होने वाले है।
338 B में बदलाव – इस अनुच्छेद में कुल 9 धाराएं है इसमें धारा संख्या 9 पर मुख्य विवाद है। इस संविधान संशोधन द्वारा इसी धारा 9 के अंतर्गत स्पष्टीकरण जोड़ा जाएगा न की कोई नया अनुच्छेद यह उल्लेख होगा के अनुच्छेद 342 A की धारा 3 पर यह लागू नहीं होगा।
अनुच्छेद 342 A में बदलाव – ध्यान देने योग्य बात है कि अनुच्छेद 342 A की तीसरी नई धारा इसी संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ी जाएगी। इस धारा 3 में स्पष्टीकरण किया गया है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कौन सी जातियां ओबीसी (OBC)में आएगी या नहीं आएगी इसका निर्धारण संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश ही करेंगे केंद्र से इसका कोई संबंध नहीं है।
102 वे संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 366 में एक नया अनुच्छेद 26 C जोड़ा गया था जिसमें लिखा है कि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से वह जातियां पिछड़ी मानी जायेगी जिनको अनुच्छेद 342 में पिछड़ा घोषित किया गया हो।
अनुच्छेद 366 के 26 C में बदलाव- ध्यान देने योग्य बात यह है कि 127 वें संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा इस अनुच्छेद 366 के 26 C में भी परिवर्तन होगा। जिसमें स्पष्टीकरण है कि अनुच्छेद 342A के तहत जो पिछड़े घोषित किए जाएंगे उनका निर्धारण केन्द्र के मामलों में केंद्र सरकार व राज्यों के मामलो में राज्य सरकारें अलग करेंगे । इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान के “127 वें संविधान संशोधन विधेयक 2021 के द्वारा तीन बदलाव होंगे।
- राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह 105 वा संविधान संशोधन अधिनियम 2021 के रूप में लागू होगा
मानसून सत्र में लाए गए 127 वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 ( Constitution (One Hundred and Twenty Seventh) Amendment Bill 2021)दोनों सदनों में पारित होने व राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने पर यह भारतीय संविधान में 105 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2021(Constitution (One Hundred and Five) Amendment Act.2021)के रूप में लागू होगा ।
- राज्यों को मिलेंगे यह अधिकार
127 वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 पर जब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करेंगे और जब यह 105 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2021 रूप में लागू होगा तब इसका प्रभाव राज्यों की शक्ति पर पड़ेगा । निश्चित रूप से 102 वे संविधान संशोधन के द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों के निर्धारण के अधिकार को लेकर राज्यों के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव था ऐसा विपक्ष का मानना हैं लेकिन अब 105 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2021 के लागू होने के पश्चात राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिलेगा। अब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने राज्यों और प्रदेशों में यह निर्धारण कर सकते हैं कौन सी जाति ओबीसी वर्ग में आएगी या नहीं आएगी।