“कसमे वादे प्यार वफ़ा यह बातें हैं बातों का क्या” यह गाना तो आपने सुना ही होगा। राजनीतिक क्षेत्र में वादों का क्या ओर कितना महत्व है यह बताने की जरूरत नही इसका निर्णय आप खुद ही करें।राजस्थानमें 2 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव की सुग फुसुहात होने लगी है । उदयपुर की वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत और प्रतापगढ़ की धरियावद विधानसभा क्षेत्र भाजपा विधायक गौतम मीणा का निधन हो जाने से यह सीट रिक्त हो गई थी। उप चुनाव से याद आया कि पिछले उप चुनाव के समय बेरोजगरो के साथ सरकार और सरकारी नुमाइन्दों ने वादे किये थे जिनमें तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के अधिक अंकधारी बेरोजगार भी थे।
अब फिर से वादे याद आएंगे, फिर वादे किये जायेंगे, फिर आश्वासन मिलेंगे, फिर कमेटियां बनेगी फिर बेरोजगार बहलाया जाएगा । पिछली बार जब राजस्थान की 3 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे उस दौर में भी राजस्थान के बेरोजगार युवाओं से ऐसे ही वादे किए गए थे, आश्वासन दिए गए थे । ज्ञात हो कि पिछले विधानसभा उपचुनाव से पूर्व राजस्थान बेरोजगार संघ एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव के नेतृत्व में बेरोजगारों ने एक मांग पत्र सरकार को सौंपा था, आंदोलन भी हुए, धरना प्रदर्शन भी हुए और बेरोजगार संघ ने इन विधानसभा उपचुनाव में अपने बेरोजगार साथियों को उम्मीदवार के रूप में उतार भी दिया था । जिससे सरकार की चिंताएं बढ़ने लगी थी और फिर शुरू हुआ आश्वासन और वादों का दौर व बहलाने का दौर । मंत्री सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय समिति भी बनी, कई दौर की याद वार्ता हुई और अंतिम रूप से कुछ मांगों पर सहमति बनी। इन मांगों में एक मांग तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगारों की नियुक्ति को लेकर भी थी जो कांग्रेस सरकार की ही पिछले कार्य काल की भर्ती है।
- आज भी न्याय का इंतजार है बेरोजगारों को
अब यह बड़ा चिंतनीय विषय है कि इस मामले में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई । सरकार के सामने एक ही घिसापिटा जवाब होगा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है । अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए तारीख मिली थी लेकिन कोरोना गाइडलाइन के चलते उस पर सुनवाई नहीं हो पाई। अप्रैल के बाद अब अगस्त का महीना शुरु हो गया लेकिन न तो सुप्रीम कोर्ट में कोई तारीख मिली है और ना ही सरकार के द्वारा इस पर कोई सकारात्मक कदम उठाया है। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगार आज भी पीड़ित है । वे आज भी इस उम्मीद में है कि सरकार उनके साथ न्याय करेगी और अपना वादा निभाएगी वे लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार है कि सुनती ही नहीं।
- SC में तारीख मिले तो सरकार का रुख मालूम चले
पिछले करीब 9 वर्षो से दर-दर की ठोकरें खा रहे औऱ न्याय की उम्मीद लगाए बैठे बेरोजगार के पक्ष में राजस्थान उच्च न्यायालय की डबल बेंच के निर्णय के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका/ एसएलपी दायर कर रखी है । अप्रैल माह में सर्वोच्च न्यायालय में तारीख थी लेकिन लॉक डाउन,कोरोना गाइडलाइन के तहत सुनवाई नहीं हो पाई थी। अब करीब 4 महीने को होने हैं, लेकिन अभी तक बेरोजगार तारीख का इंतजार कर रहे हैं, तारीख मिले तो कम से कम सरकारी रुख तो मालूम तो चले कि आखिर सरकार और सरकारी नुमाइंदे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के अधिक अंकधारी बेरोजगारों के हिट में कुछ करने की इच्छा शक्ति रखते है या उनके वादे सिर्फ वादे ही हैं ।
- उपचुनाव है सरकार फिर से वादे करेगी सरकार
जल्दी ही उदयपुर जिले की वल्लभनगर और प्रतापगढ़ की धरियावद विधानसभा क्षेत्र की सीट पर उपचुनाव होने हैं। यह वक्त है कि सरकार को यह याद दिलाया जाए कि पिछले उपचुनाव के दौरान उन्होंने बेरोजगारों तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगारों के साथ जो वादा किया था ,उन वादों को पूरा करें। बेरोजगारों के सामने एक बार फिर अवसर है ।
- इस बार आश्वासन ही काम चाहिए
कोई भी सरकार हो युवा शक्ति की उपेक्षा नहीं कर सकती । जब – जब भी सरकार ने युवाओं की उपेक्षा की है, बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया है, सरकारें अपने वादों से मुकरी है ,तब तब सरकार को मुंह की खानी पड़ी है । बेरोजगार एक बार फिर से बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेंन यादव के नेतृत्व में सक्रिय होकर सरकार के सामने अपनी बात को पुरजोर तरीके से रखें लेकिन इस बार युवाओं को वादे नहीं चाहिए अगर सरकार के इरादे नेक है, बेरोजगारों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय करना है उनको नियुक्ति देनी है विशेषकर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगारों के साथ न्याय करना है तो चुनाव से पूर्व बेरोजगारों के हितों में इस भर्ती का निस्तारण कर दिया जाए तभी बेरोजगार संतुष्ट होगा । इस बार वादे और आश्वासन लेकर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बेरोजगार अपने हितों पर कुठाराघात नहीं करे ।
- सरकार कर सकती हैं बड़ा निर्णय
एक तरफ जहां विधानसभा के उपचुनाव है वहीं दूसरी ओर सरकार के द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जाने से बेरोजगार में हताशा व नाराजगी है । भले ही इस भर्ती का मामला सर्वोच्च न्यायालय लंबित है लेकिन यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि अगर सरकार संवेदनशील तरीके से कार्य करती है और बेरोजगार पुरजोर तरीके से अपनी मांग को सरकार और माननीय मुख्यमंत्री महोदय तक पहुंचाएं तो उप चुनाव से पूर्व सरकार कोई बड़ा निर्णय नहीं सकती हैं, कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं । ऐसा विश्वास किया जा सकता है ऐसी उम्मीद की जा सकती हैं।
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