भारतीय संविधान के भाग 6 और अनुच्छेद 168 के अनुसार देश के प्रत्येक राज्य में एक विधानमंडल होगा । जिसका गठन राज्यपाल तथा एक या दो सदनों से मिलकर होगा । जहां विधान मंडल के दो सदन है,विधानसभा और विधान परिषद उसे द्विसदनात्मक राज्य विधान मंडल तथा जहां पर केवल एक सदन विधानसभा है उसे एक सदनात्मक राज्य विधानमंडल कहा जाता है । ध्यान रहे किसी भी राज्य में विधान परिषद का गठन एक वैकल्पिक प्रावधान है, जिसका गठन व सृजन एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत किया जा सकता है ।
- पं. बंगाल में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पास
विधान परिषद के गठन की संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए 6 जुलाई 2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य में विधान परिषद गठित करने के प्रस्ताव को पास कर दिया है । ममता बनर्जी सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में 196 वोट और विपक्ष में 69 वोट पड़े । अब इसे अनुमति के लिए संसद को प्रेषित किया जायेगा । अगर वहाँ से अनुमति मिल जाती है तो विधान परिषद का सृजन किया जा सकेगा ।
ध्यातव्य
राजस्थान और तमिलनाडु में भी विधान परिषद के गठन प्रस्तावित है । शांताराम नायक समिति की सलाह पर राजस्थान में भी विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई थीं । 18 अप्रैल 2012 को राजस्थान विधानसभा में विधान परिषद के गठन के लिए प्रस्ताव पारित किया और इसे संसद को प्रेषित किया था। जहां संसद ने अपने साधारण बहुमत से इसे स्वीकार भी कर लिया । अब राजस्थान में विधान परिषद का गठन प्रस्तावित है । इसके अतिरिक्त असम व उड़ीसा में विधान परिषद के गठन को संसद की स्वीकृति मिल चुकी है ।
- प.बंगाल में पहले समाप्त की थी विधान परिषद अब फिर गठन की तैयारी
पश्चिम बंगाल में विधान परिषद के गठन व समाप्ति का पुराना इतिहास रहा है । सर्वप्रथम मुख्यमंत्री बिधान चंद्र राय के कार्यकाल के दौरान सन 1952 में राज्य विधान परिषद का गठन किया गया था लेकिन कुछ समय बाद ही पश्चिम बंगाल विधान सभा ने इसे समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया था । संसद ने पश्चिम बंगाल विधान परिषद (उन्मूलन) अधिनियम 1969 के माध्यम से 1 अगस्त 1969 को विधान परिषद समाप्त कर दिया ।
- यह होगी अधिकतम सदस्य संख्या
अगर पश्चिमी बंगाल में विधान परिषद के गठन को अनुमति मिल जाती है तो उसके सदस्यों की संख्या का निर्धारण होगा । विधान परिषद के सदस्यों की अधिकतम संख्या उस राज्य की विधानसभा के कुल सदस्य संख्या का एक तिहाई सदस्य संख्या से अधिक और न्यूनतम 40 से कम नही हो सकती है । पश्चिमी बंगाल विधानसभा में वर्तमान समय में 294 सदस्य संख्या है। इस हिसाब से वहां विधान परिषद के सदस्यों की अधिकतम संख्या 98 हो सकती है ।
- विधान परिषद गठन की यह है पूरी प्रक्रिया
किसी भी राज्य में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 में उल्लेखित है । इस अनुच्छेद के अनुसार यदि राज्य विधानसभा अपने कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत के द्वारा उस राज्य में विधान परिषद के गठन का संकल्प पारित कर उसे संघीय संसद के पास स्वीकृति के लिये प्रेषित कर देती है । संसद के दोनों सदन अनुच्छेद 171(2) के मुताबिक लोकसभा और राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित कर उसे राष्ट्रपति के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधान परिषद का गठन किया जा सकता है लेकिन यह एक लम्बी प्रक्रिया है ।
ध्यातव्य
विधान परिषद के सृजन की जिस प्रकार से प्रक्रिया अपनाई जाती है उसी प्रकार की प्रक्रिया से किसी भी राज्य में विधान परिषद को समाप्त भी किया जा सकता है। सृजन और समाप्ति के प्रस्ताव सर्वप्रथम राज्य विधानसभा में ही लाया जाता है ।
- इन राज्यों में है अभी विधान परिषद का अस्तित्व
वर्तमान समय में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,बिहार आंध्र प्रदेश,तेलंगाना कुल 6 राज्यों में विधान परिषद का अस्तित्व है । ध्यान दे कि सन 2019 से पूर्व जम्मू एंड कश्मीर में भी विधान परिषद का अस्तित्व था लेकिन 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जे की समाप्ति की घोषणा के बाद जम्मू कश्मीर में विधान परिषद का अस्तित्व समाप्त हो चुका है । आज केवल 6 प्रान्तों में ही विधान परिषद का अस्तित्व है ।