भारतीय संविधान के द्वारा केंद्र में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका जिसे हम संसद के नाम से पुकारते हैं उसमें लोकसभा को निम्न सदन और राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है। संसद के प्रत्येक सदन के अपने अपने पीठासीन अधिकारी होते हैं । लोकसभा में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा राज्यसभा में सभापति और उपसभापति होते हैं । इसके अतिरिक्त राज्यसभा उपसभापति पैनल का भी प्रावधान है । जब जब दोनों सदनों लोकसभा अध्यक्ष,उपाध्याय और राज्यसभा उपसभापति का पद रिक्त रहे हो तो प्रोटेम स्पीकर / सामयिक अध्यक्ष नियुक्ति किया जाता रहा है ।
- लोकसभा अध्यक्ष
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में उल्लेखित है कि लोकसभा अपने में से एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे ध्यान रहे भारतीय संविधान में लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए निर्वाचन शब्द की जगह चयन शब्द का प्रयोग किया गया है।
- क्या होता है प्रोटेम स्पीकर/सामयिक अध्यक्ष
प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ होता है- ‘कुछ समय के लिए’ लोकसभा के चुनाव के पश्चात पहली बैठक की अध्यक्षता करने, नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने / प्रतिज्ञान कराने के लिए तथा जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हो जाए तो लोकसभा अध्यक्ष के कार्यों का निर्वहन करने के लिए एक सामयिक अध्यक्ष जिसे हम प्रोटेम स्पीकर के नाम से जाना जाता है की नियुक्ति की जाती है। यह कार्यचालक/कार्यवाहक (ऑपरेटिव) व्यक्ति, जो अस्थायी रूप से यह पद धारण करता है, उसे ही ‘प्रो-टेम स्पीकर’ कहा जाता है।
- कौन करता है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
आम चुनाव के पश्चात नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने और प्रथम बैठक की अध्यक्षता करने के लिए राष्ट्रपति के द्वारा प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है प्रोटेम स्पीकर इन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेता है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत अध्यक्ष के पदों के निर्वहन हेतु प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है । यह जरूरी नही की सत्ता पक्ष के सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाये ।
- नियुक्ति में यह रही है परम्परा
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के बारे में यह परंपरा रही है कि लोकसभा के सदस्यों में से सबसे वरिष्ठ सदस्य को सामयिक अध्यक्ष या प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त किया जाता है तथा लोक सभा के पहले आम निर्वाचन (1952) से लेकर वर्तमान समय तक इसी परंपरा का पालन किया जाता रहा है । हालांकि यह जरूरी नही की वरिष्ठ सदस्य को ही बनाया जाये लेकिन एक परंपरा का निर्वाह किया जाता रहा है ।
- ध्यातव्य-
लोकसभा के वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर/ सामयिक अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किए जाने की परंपरा फ्रांस के संविधान से प्रभावित है । यह उसी प्रकार है जैसे भारतीय समाज मे परिवार, समाज, कुनबा,के वरिष्ठ सदस्य के सम्मान को ध्यान में रखते हुये सभा,बैठक,का मुखिया बनाया जाता है ।
- कौन दिलाता है प्रोटेम स्पीकर को शपथ
आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करने व लोकसभा अध्यक्ष के कार्य निर्वाह करने के लिये राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रोटेम स्पीकर राष्ट्रपति के समक्ष लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेता है न की अध्यक्ष या प्रोटेम स्पीकर के रूप में ।
- प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल
सामयिक अध्यक्ष या प्रोटेम स्पीकर जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह पूर्णतया अस्थाई है । यह कार्यवाहक व कार्यचलक अध्यक्ष होता है । प्रोटेम स्पीकर तब तक ही अपने पद पर कार्य करता है जब लोकसभा अध्यक्ष का चयन न कर लिया जाता है ।
- प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां
संविधान में प्रो-टेम स्पीकर की शक्तियों को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, इसलिए इस मुद्दे को लेकर काफी अलग अलग विचार मौजूद हैं। हालाँकि एक प्रो-टेम स्पीकर को एक स्थायी स्पीकर के समान सभी शक्तियों के प्रयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है, परन्तु उसके पास तमाम शक्तियां, दायित्व के रूप में अवश्य होती हैं, जिन्हें हमने पहले ही समझा है।
भारतीय संविधान तथा लोकसभा प्रक्रिया नियमों के अंतर्गत प्रोटेम स्पीकर को वह सारी शक्तियां प्राप्त होती है जो कि लोकसभा अध्यक्ष को प्राप्त होती है लेकिन ध्यान देने योग्य बात है कि वह इन शक्तियों का प्रयोग तभी तक कर सकता है जब तक लोकसभा द्वारा अध्यक्ष का चयन नहीं कर लिया जाता है। मुख्यतया लोकसभा के चुनाव के बाद लोक सभा सदस्य को प्रोटेम स्पीकर ही शपथ दिलाता है ।
- ध्यातव्य
प्रोटेम स्पीकर के बारे में बात करते ही हम लोकसभा या राज्य विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के बारे में सोचने समझने लगते हैं लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राज्यसभा में भी चेयरमैन प्रोटेम जैसे पद का प्रावधान है । राज्य सभा मे भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है कि सभापति और उपसभापति दोनों के ही पद रिक्त हो तो ऐसी परिस्थिति में सभापति के कार्यों का निर्वहन करने के लिए चेयरमैन प्रोटेम की नियुक्ति की जाती है ।
- राज्यसभा में भी है यह प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 91(1) के तहत जब राज्यसभा सभापति और उपसभापति दोनों के पद रिक्त हो तब राज्यसभा सभापति के कार्य व निर्वहन करने के लिए राज्यसभा का ऐसा सदस्य जिसको राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करता है इसे सामयिक सभापति (Chairman Protem) कहा जाता है ।
- लोकसभा के अब तक के प्रोटेम स्पीकर कौन
संविधान लागू होने के पश्चात जब देश में लोकसभा के प्रथम आम चुनाव (1952 ) हुए तब से लेकर वर्तमान 17 वी लोकसभा तक 13 व्यक्ति इस पद पर रह चुके है ।
1 जी वी मावलंकर – प्रथम लोकसभा
2 बी. दास – प्रथम लोकसभा
3. हुकुम सिंह – प्रथम लोकसभा
4.गोविन्द दास – दूसरी,तीसरी, चौथी,पांचवी
5 डी. एन. तिवाड़ी – छठी लोकसभा
6 जग जीवन राम – सातवीं, आठवीं लोकसभा
7. एन. जी. रंगा – नोवी लोकसभा
8. इंद्रजीत गुप्त – 10 वी, 11वी,12वी,13 वी
9. सोम नाथ चटर्जी – 14 वी लोकसभा
10. बाबा साहेब विश्बे पाटिल- 14 वी लोकसभा
11. माणिक राव होडनया – 15 वी लोकसभा
12. कमल नाथ – 16 वी लोकसभा
13. डॉ. वीरेंद्र कुमार – 17 वी लोकसभा
ध्यातव्य
- प्रथम लोकसभा में तीन प्रोटेम स्पीकर जी.वी. मावलंकर, बी.दास ,हुकुम सिंह प्रोटेम स्पीकर रहे ।
- गोविंद दास दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर रहे।
- जगजीवन राम सातवीं और आठवीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर के पद पर रहे।
- इंद्रजीत गुप्त 10 वीं 11वीं 12 वीं और 13वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर की पद पर रहे।