लॉक डाउन के हालातों में,
गुजारो वक़्त गाइडलाइन में,
बचपन में गर्मियों की छुट्टियां, घूमना फिरना, दोस्तों के साथ मस्ती करना, बेवजह घूमते रहना, क्यों घूम रहे हैं पता नहीं, कहां जा रहे हैं पता नहीं बस बचपन तो बचपन था ऐसे दौर में मम्मी – पापा का वह शब्द आप सभी ने लगभग सुना ही होगा कि ” बाहर चला गया तो टांगे तोड़ दूंगा /दूंगी” शायद आप सभी को सबको याद होगा । बेवजह बाहर घूमने से रोका करते थे …. कि बीमार हो जाओगे शायद उस वक्त हमें पता नहीं था …… लेकिन सचे मायने में वह भी एक लॉकडाउन की तरह था । देश दुनिया के शब्दकोश में यह लॉक डाउन शब्द भले ही पूरा ना हो लेकिन वर्तमान दौर में जिस गति से यह शब्द जन- जन का शब्द बना और जिस गति से यह जन – जन के मुंह से सुना गया । विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जहाँ कि अधिकतर जनता शायद पहली बार इस शब्द से परिचित हुई हो लेकिन आज बच्चे बूढ़ेे हो युवा हो गरीब हो अमीर हो हर कोई इस शब्द से अच्छी तरह परिचित हो गया है। चलो सबसे पहले हम इस शब्द को जान लेते हैं कि आख़िर ये लॉक डाउन है क्या ?
लॉक डाउन का क्या है अर्थ
लॉकडाउन का शाब्दिक अर्थ तालाबंदी से लगाया जाता है । लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जो किसी आपदा या महामारी के वक्त लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन लागू किया गया है उस क्षेत्र के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है.।उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने जाने की इजाजत मिलती है, इस दौरान वे बैंक से पैसे निकालने भी जा सकते हैं.। जिस तरह किसी संस्थान या फैक्ट्री को बंद किया जाता है और वहां तालाबंदी हो जाती है। उसी तरह लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर ना निकलें। लॉकडाउन जनता की सहूलियत और सुरक्षा के लिए किया जाता है। सभी प्राइवेट और कॉन्ट्रेक्ट वाले दफ्तर बंद रहते हैं।, सरकारी दफ्तर जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते, वो भी बंद रहते और इसे सरकारी गाइड लाइन के अनुसार चरणबद्ध तरीके से भी लगाया जा सकता है । इन सब का आम व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ना तो निश्चित होता ही है विशेषकर भारत जैसे सामाजिकता और सोलह संस्कार वाले देश जहाँ हर दिन उत्सव हो वहां तो ये ज्यादा ही चुनोतिपूर्ण कार्य होता है ।
विश्व मे कहां लगा पहला लॉक डाउन
विश्व में सबसे पहला लॉकडाउन अमेरिका में लगाया गया था 9/11 के आतंकी हमले के बाद तीन दिनों के लिए लगाया गया था । इसके पश्चात 2013 में बोस्टन (ब्रिटेन) में आतंकियों की खोज के लिए तथा 2015 में पेरिस (फ़्रांस) हमले के बाद संदिग्धों को पकड़ने के लिए ब्रुसेल्स में भी लॉक डाउन लागू करना पड़ा था। भारत मे लॉक डाउन गुलामी के दौर में जब देश आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था तो उस समय इंदू लाल याग्निक भी गुजरात में आजादी की अलख जगा रहे थे। वो अंग्रेजी सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अलख जगा रहे थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से विरोध जताने के लिए जनता कर्फ्यू की शुरुआत की थी। 1956- 1960 जब अलग गुजरात राज्य बनाने का अंदोलन चल रहा था तब भी इस तरह के क़दम उठाए गए थे।
वैश्विक संकट कोरोना से पूरा विश्व त्रस्त है ऐसे दौर में भारत कैसे अछूता रह सकता था । कोरोना संकट काल मे जनता की सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 23 मार्च को 21 दिन के लॉक डाउन का आव्हान किया किया । लॉक डाउन किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक परिवेश को प्रभावित करता है फिर भी संक्रमण को फैलने से रोकने की कोशिश के तहत किया । भारत में लागू किया गया यह लॉक डाउन विश्व में अब तक का सबसे बड़ा लॉक डाउन है । 2020 के अंतिम महीनों में कुछ राहत के बाद कोरोना के बादल छटने लगे थे लेकिन 2021 के शुरुआत में एक बार फिर इस संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया और लॉक डाउन का एक बार फिर से सामना करना पड़ा । लॉक डाउन पूरी दुनिया को एक नया अनुभव कई नई चुनौतियां देकर जाएगा लेकिन संक्रमण के दौर से बचने के लिए यही ही एकमात्र उपाय नजर आया इसको भी दुनिया याद रखेगी ।
भारत जैसे देश में लॉक डाउन से मानो दुनिया ठहर सी गई हो। समाज के प्रत्येक वर्ग चाहे वह मजदूर वर्ग हो , मध्यम वर्ग हो व्यापारी वर्ग हो, हर रोज कमा कर खाने वाले हो , विद्यार्थी हो सभी को किसी न किसी प्रकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। । हर कोई इस दौर में त्रस्त था।
लॉक डाउन की मार्मिक घटनाये
इस दौरान ऐसी- ऐसी मार्मिक घटनाएं और दृश्य देखने को मिले जिनसे मानवीय संवेदनाओं पर नियंत्रण करना मुश्किल था । लॉकडाउन के दौर में आम जनता को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिस कठिन दौर से गुजरना पड़ा लॉक डाउन के दौरान मार्मिक दृश्यों ने मानव मन को विचलित कर दिया । दौर समस्याओं का था फिर भी हमें सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने आपको अपने परिवार को अपने समाज को सुरक्षित रखना था । इस लॉक डाउन ने लोगों को घरों में कैद कर दिया हो लेकिन कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले । वाहनों की गति रुकने , कारखाने बंद हो जाने के कारण आर्थिक नुकसान जरूर हुआ लेकिन पर्यावरण शुद्ध होने का एक संकेत मिला । लोग वापस संयुक्त परिवार की तरफ से लौटने लगे, एक दूसरे का साथ देने की भावना का विकास हुआ । लोगों की जीवन शैली में सकारात्मक परिवर्तन हुए, लोगों ने मिलकर इस समस्या का सामना करने के लिए एक होने की भावना का विकास हुआ ।
देश में जिस प्रकार के हालात है और देश जिस दौर से गुजर रहा है उस दौर में लॉकडाउन फिजिकल डिस्टेंस और आपकी जागरूकता तथा सावधानी ही एकमात्र उपाय है अपने आप को संक्रमित होने से बचाने के लिए । खैर यह दौर मुश्किल का जरूर है। जिंदगी रही तो ” यह जहां भी काम आएगा इसलिए अपने आप को और अपने परिवार , अपने समाज की सुरक्षा के लिए सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए लॉक डाउन का पालन कीजिए, सावधानी रखें, ।
कुछ यूं सकारात्मक बनाये इस लॉक डाउन को
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* घर पर रहकर अपनों के साथ वक्त गुजारे ।
*अपनी रचनात्मक सोच को रूप देने के लिए अपनी रूचि के अनुसार लेखन कार्य को अपनाएं ।
*अपने बच्चों को वक्त दे उनकी रचनात्मक सोच उनकी रूचि के अनुसार उन्हें कार्य करने का अवसर उपलब्ध करवाएं ।
*विद्यार्थी इस लोक डाउन के समय को अधिक से अधिक अध्ययन कार्यों में व्यतीत करने का प्रयास करना चाहिए जिसका अच्छा परिणाम उन्हें आने वाले समय में मिल सकेगा ।
* लॉकडाउन डाउन के कारण एकल परिवार एक बार फिर से संयुक्त परिवार की ओर बर्थडे लगे हैं अपने बच्चों को संयुक्त परिवार का महत्व समझाएं।
* भागदौड़ की जिंदगी से कुछ मिला है तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप व्यायाम कर अपना समय व्यतीत करते हैं
*अति आवश्यक सेवाओं के लिए आप वर्क एट होम की कार्यप्रणाली को अपना सकते हैं
*वक़्त के अभाव के कारण आप अपनी रुचि अभिरुचि को साकार रूप नहीं दे पाए एक बार आपके पास वक्त है कि संगीत, ड्राइंग ,बागवानी या अपनी रूचि के अनुसार किताब पर पढ़ना ऐसे कार्य को अपना सकते हैं।
यह मंजर भी निकल जाएगा यह दौर भी निकल जाएगा और एक बार फिर से खुशहाल समाज की ओर हम आगे बढ़ेंगे ।
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